900 साल पुराना सूर्य मंदिर जहाँ पूजा नहीं की जाती , जानिए गुजरात के इस अनोखे मंदिर के बारे मे।
क्या आप जानते है गुजरात में 900 साल पुराना एक ऐसा सूर्य मंदिर है जहाँ सूर्यास्त होने पर पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करती है. इस सूर्य मंदिर को देखने के लिए देश के कोने-कोने से सैलानी आते हैं.
क्या आपको पता है कि गुजरात में एक ऐसा सूर्य मंदिर है जो 900 साल पुराना है और जहां पूजा नहीं की जाती है. इस सूर्य मंदिर को देखने के लिए देश के कोने-कोने से सैलानी आते हैं. इस सूर्य मंदिर में देवी-देवताओं के चित्र अंकित हैं और रामायण और महाभारत के प्रसंगों को उकेरा गया है. मंदिर में अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया था और इसे नुकसान पहुंचाया था एवं यहां की मूर्तियां तोड़ दी गई थीं.
कौन-सा है यह सूर्य मंदिर?
इस सूर्य मंदिर का नाम मोढेरा सूर्य मंदिर (Modhera Surya Temple) है. यह मंदिर गुजरात में है. मंदिर गुजरात के पाटन से करीब 30 किलोमीटर दक्षिण की ओर मोढेरा गांव में स्थित है. यह सूर्य मंदिर ईरानी शैली में निर्मित है. इस प्राचीन सूर्य मंदिर को सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 ई. में बनवाया था. मंदिर का निर्माण इस तरह से किया गया है कि सूर्योदय होते ही सूरज की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह पर पड़ती है. यहां एक विशाल कुंड है जिसे रामकुंड कहते हैं. मंदिर के गर्भगृह के भीतर की लंबाई 51 फुट और चौड़ाई करीब 25 फुट है.
मंदिर चालुक्य वंश के शासन के दौरान बना. सूर्य उनके कुलदेवता थे. उनकी पूजा होती थी. जिस वजह से भीमदेव प्रथम ने इस मंदिर का निर्माण किया था. इस सूर्य मंदिर की काफी मान्यता है और यह सूर्यदेव के प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल है. इस सूर्य मंदिर का डिजाइन श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है. अगर आपने भी इस सूर्य मंदिर को नहीं देखा है तो आप यहां जा सकते हैं.